प्रकृति मां सबसे सुन्दर हैं. मेरी कोशिश है मैं उनकी खूबसूरती को अपनी स्मृतियों में बसा लूँ.
Saturday 23 July, 2011
Friday 1 July, 2011
पहाड़ से मैदान तक नजर (Plains are seen from very far Mountains )
मैदान से पहाड़ तो बहुत देखे होंगे, कभी पहाड़ से आसानी से देखा है मैदान .....Have you seen Plains and Hills like this without flying....
स्थान:
नैनीताल, उत्तराखंड, भारत
Sunday 26 June, 2011
पहाड़ के फल: ऐसा स्वाद और कहाँ
लेबल:
Hisalu,
Kaafal,
Khumani,
Pahadi Fal,
Pulam,
Strawberry
स्थान:
नैनीताल, उत्तराखंड, भारत
Monday 20 June, 2011
Wednesday 18 May, 2011
कुमाउनी फल काफल
कुमाउनी फल काफल पहाड़ का बहुत ही लोकप्रिय फल है, इसके बारे में कुमाउनी के आदि कवि लोक रत्न पन्त 'गुमानी' (1791 -1846) जी ने लिखा है:
भूलोक आई पड़ाँ,
पृथ्वी में लग यो पहाड़ हमारी थाती रचा दैव लै ,
योई चित्त विचारी काफल सबै राता भया क्रोध लै,
कोई बुड़ा ख़ुड़ा शरम लै काला धुमैला भया.
(काफल कहते हैं, "हम तो (स्वर्ग लोक में) देवराज इन्द्र के भोजन थे, किन्तु पृथ्वी पर भेज दिए गए, पृथ्वी में भी देवताओं ने हमें पहाड़ पर उत्पन्न कर दिया", यह सोचकर काफल क्रोध से लाल हो गए, उनमें से जो वृद्ध थे वे (क्रोध से ही) सांवले हो गए..)
हिसालू की जात बड़ी रिसालू......
कुमाउनी फल हिसालू कैसा होता हैं, इस बारे में कुमाउनी के आदि कवि लोक रत्न पन्त 'गुमानी' (1791 -1846) जी की सुनिए :
हिसालू की जात बड़ी रिसालू , जाँ जाँ जाँछे उधेड़ि खाँछे |
यो बात को क्वे गटो नी माननो, दुद्याल की लात सौणी पड़ंछ |
(यानी हिसालू की नस्ल बड़ी नाराजगी भरी है, जहां-जहां जाता है, बुरी तरह खरोंच देता है, तो भी कोइ इस बात का बुरा नहीं मानता, क्योंकि दूध देने वाली गाय की लातें खानी ही पड़ती हैं.)
गुमानी को हिंदी का भी आदि कवि कहा जाता है, उन्होंने 1815 में ही हिंदी खड़ी बोली में हिंदी काव्य की रचना की थी. वह हिसालू पर आगे कहते हैं:
छनाई छन मेवा रत्न सगला पर्वतन में,
हिसालू का तोपा छन बहुत तोफा जनन में,
पहर चौथा ठंडा बखत जनरौ स्वाद लिंड़ में,
अहो में समझछुं, अमृत लग वास्तु क्या हुनलो ?
(यानी पर्वतों में तरह-तरह के अनेक रत्न हैं, हिसालू के बूंदों से फल भी ऐसे ही तोहफे हैं, चौथे प्रहार में इनका स्वाद लेना चाहिए, वाह मैं समझता हूँ इसके सामने अमृत का स्वाद भी क्या होगा...)
Friday 13 May, 2011
Friday 6 May, 2011
Friday 29 April, 2011
आज का पहाड़
इस गाँव का नाम मुझे नहीं पता, पर यह चित्र आज के पहाड़ के पूरे हालात बयान करता है. अल्मोड़ा जिले में पनुवानौला से आगे वृद्ध जागेश्वर जाने वाली रोड के करीब स्थित यह गाँव मुझे पूरे पहाड़ का प्रतिनिधित्व करता हुआ लगा. यहाँ कुछ हरीतिमा लिए तो कुछ बंजर छोटे-छोटे सीढीनुमा खेत हैं. ऊपर वाले घरों की बाखलियाँ ठेठ पुरानी पहाड़ी हैं, नीचे उसी पुराने स्टाइल में बनी नई बाखली भी है, वहीँ सबसे नीचे गृहस्वामी के प्रवासी हो जाने के फलस्वरूप हुआ खंडहर और उसके बगल में नए जमाने का लिंटर वाला मकान भी है.
Sunday 10 April, 2011
Thursday 7 April, 2011
मेरी ढेर सारी फोटो
मेरी ढेर सारी फोटो के लिए कृपया यहाँ क्लिक करें.
स्थान:
नैनीतालl, उत्तराखंड, भारत
Tuesday 22 March, 2011
Friday 4 March, 2011
Friday 25 February, 2011
Sunday 20 February, 2011
Wednesday 16 February, 2011
Saturday 12 February, 2011
Friday 4 February, 2011
Saturday 29 January, 2011
Thursday 27 January, 2011
Sunday 23 January, 2011
Saturday 22 January, 2011
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