मधुमास के आते ही प्रकृति के स्वर्ग कही जाने वाली सरोवरनगरी में मधु के प्रेमी भंवरों की मानो पौ-बारह है। इन दिनों वे एक-एक कली पर जाकर मंडराते हैं, सबका स्वाद लेते हैं। स्वाद भाया तभी वहां कुछ देर ठहरते हैं, अन्यथा किसी दूसरे फूल की ओर जा उड़ते हैं। नगर कोतवाली के पास खिले इस पुलम के इस पेड़ पर मंडरा रहे इस नटखट भंवरे के इरादे भी कुछ ऐसे ही लगते हैं।
प्रकृति मां सबसे सुन्दर हैं. मेरी कोशिश है मैं उनकी खूबसूरती को अपनी स्मृतियों में बसा लूँ.
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Thursday, 22 March 2012
मधुमास के आते ही ....
मधुमास के आते ही प्रकृति के स्वर्ग कही जाने वाली सरोवरनगरी में मधु के प्रेमी भंवरों की मानो पौ-बारह है। इन दिनों वे एक-एक कली पर जाकर मंडराते हैं, सबका स्वाद लेते हैं। स्वाद भाया तभी वहां कुछ देर ठहरते हैं, अन्यथा किसी दूसरे फूल की ओर जा उड़ते हैं। नगर कोतवाली के पास खिले इस पुलम के इस पेड़ पर मंडरा रहे इस नटखट भंवरे के इरादे भी कुछ ऐसे ही लगते हैं।
Thursday, 9 February 2012
Friday, 29 April 2011
आज का पहाड़
इस गाँव का नाम मुझे नहीं पता, पर यह चित्र आज के पहाड़ के पूरे हालात बयान करता है. अल्मोड़ा जिले में पनुवानौला से आगे वृद्ध जागेश्वर जाने वाली रोड के करीब स्थित यह गाँव मुझे पूरे पहाड़ का प्रतिनिधित्व करता हुआ लगा. यहाँ कुछ हरीतिमा लिए तो कुछ बंजर छोटे-छोटे सीढीनुमा खेत हैं. ऊपर वाले घरों की बाखलियाँ ठेठ पुरानी पहाड़ी हैं, नीचे उसी पुराने स्टाइल में बनी नई बाखली भी है, वहीँ सबसे नीचे गृहस्वामी के प्रवासी हो जाने के फलस्वरूप हुआ खंडहर और उसके बगल में नए जमाने का लिंटर वाला मकान भी है.
Sunday, 10 April 2011
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