प्रकृति मां सबसे सुन्दर हैं. मेरी कोशिश है मैं उनकी खूबसूरती को अपनी स्मृतियों में बसा लूँ.
Monday, 30 December 2013
Friday, 13 December 2013
Sunday, 17 November 2013
Tuesday, 10 September 2013
Tuesday, 5 March 2013
आने लगा ऋतुराज, 'प्योंली' के साथ ही 'किल्मोड़ा' भी लगा खिलखिलाने....
दोस्तो, हम ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यंते, रमन्ते तत्र देवताः’ का संदेश देने वाले संभवतया दुनिया के इकलौते देश के वासी हैं। बावजूद, हमारे देश में बीते दिनों ‘नैतिक शिक्षा’ के ह्रास सहित अन्य कारणों से हमें शर्मशार होना पड़ा है, बावजूद हम ही हैं, जहां लोग ‘दामिनी’ मामले के बाद ही सही ‘एक हद तक’ जागे भी हैं। बावजूद, हमारे यहां ऐसी आवाजें बहुत जोर-शोर से उठ रही हैं, जिनसे ‘वेलेंटाइन-डे’ के बाद भी महिला-पुरुषों के बीच प्रेम कम, नफरत का भाव पैदा करने जैसी कोशिश अधिक दिखती है। मानो हमारे यहां महिला अपराध सर्वाधिक हैं। इससे देश की छवि दुनिया में खराब हो रही है। संयुक्त राष्ट्र संघ पिछली घटना पर कड़ी टिप्पणी कर चुका है। ऐसे लोग क्या बताएंगे कि दुनिया के किस देश में भारत से अधिक महिलाओं का सम्मान होता है, और कहां ‘मातृसत्तात्मक व्यवस्था’ चलती है ?
दोस्तो, न हमें अपने ही प्यार से सहेजे जाने वाले अंग (बांए या दांए अंग, क्योंकि हमारे यहां महिलाओं को पुरुषों का बामांग कहा जाता है) को नुकसान पहुंचाना है, और न हत्यारे को उकसाकर अपनी हत्या करवाने और फिर उसे फांसी दिलवाने से संतुष्ट होने की खुशी प्राप्त करनी है। क्योंकि यह किसी की हार-जीत का प्रश्न नहीं, हम महिला-पुरुष जीवन के साथ ही परिवार, समाज, देश व दुनिया की गाड़ी के दो पहिए हैं। कोई भी पहिया टूटेगा तो जीवन टूटेगा, देश की साख कमजोर होगी। इसलिए क्यों न हम दोनों महिला-पुरुष मौजूदा दौर में हमारे और हमारे देश की प्रतिष्ठा के बीच खोदी जा रही खाई का पाटकर आज प्रेम के पर्व ‘वसंत पंचमी’ पर खिले फूलों की तरह अपनी कमियों को दूर करते हुए अपने प्यार को खिलाकर एक बेहतर दुनिया का निर्माण करें।
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