Wednesday 18 May, 2011

कुमाउनी फल काफल

कुमाउनी फल काफल पहाड़ का बहुत ही लोकप्रिय फल है, इसके बारे में कुमाउनी के आदि कवि लोक रत्न पन्त 'गुमानी' (1791 -1846) जी ने लिखा है: 

खाणा लायक इन्द्र का हम छियाँ,
भूलोक आई पड़ाँ, 
पृथ्वी में लग यो पहाड़ हमारी थाती रचा दैव लै ,
योई चित्त विचारी काफल सबै राता भया क्रोध लै, 
कोई बुड़ा ख़ुड़ा शरम लै काला धुमैला भया.


(काफल कहते हैं, "हम तो (स्वर्ग लोक में)  देवराज इन्द्र के भोजन थे, किन्तु पृथ्वी पर भेज दिए गए, पृथ्वी में भी देवताओं ने हमें पहाड़ पर उत्पन्न कर दिया", यह सोचकर काफल क्रोध से लाल हो गए, उनमें से जो वृद्ध थे वे (क्रोध से ही) सांवले हो गए..)

2 comments:

  1. काफल देख कर पहाड़ों की याद आगई । बहुत सुन्दर

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